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'निशिकांत दुबे के खिलाफ चलाई जाए अदालत की अवमानना की कार्रवाई', अटॉर्नी जनरल को दी गई अर्जी
2025-04-21
HaiPress
नई दिल्ली:
झारखंड के गोड्डा से भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे के खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्रवाई की मांग करते हुए एक याचिका अटॉर्नी जनरल को दी गई है. सुप्रीम कोर्ट के एक एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड ने अटॉर्नी जनरल (AG) को पत्र लिखकर ‘अवमानना की कार्यवाही' शुरू करने के लिए अनुमति मांगी है.कानून के अनुसार,कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट एक्ट,1971 की धारा 15(b) के तहत किसी व्यक्ति के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की अवमानना की कार्यवाही तभी शुरू की जा सकती है जब अटॉर्नी जनरल या सॉलिसिटर जनरल इसकी अनुमति देते हैं.
गौरतलब है कि भाजपा ने शनिवार को अपने सांसदों निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा द्वारा उच्चतम न्यायालय और भारत के प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना पर की गई तीखी टिप्पणियों से खुद को अलग कर लिया. पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा ने इन टिप्पणियों को सांसदों के निजी विचार बताकर खारिज कर दिया. नड्डा ने ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा,‘‘भाजपा का उसके सांसदों निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा की न्यायपालिका और प्रधान न्यायाधीश पर की गई टिप्पणियों से कोई लेना-देना नहीं है. ये उनकी निजी टिप्पणियां हैं,लेकिन भाजपा न तो उनसे सहमत है और न ही ऐसी टिप्पणियों का कभी समर्थन करती है. भाजपा इन्हें पूरी तरह से खारिज करती है.''
नड्डा ने यह भी कहा कि उन्होंने दोनों नेताओं और अन्य लोगों को ऐसी टिप्पणियां न करने का निर्देश दिया है. उन्होंने कहा कि भाजपा ने हमेशा न्यायपालिका का सम्मान किया है और उसके सुझावों एवं आदेशों को सहर्ष स्वीकार किया है क्योंकि एक दल के तौर पर उसका मानना है कि शीर्ष अदालत समेत सभी अदालतें लोकतंत्र का अभिन्न अंग हैं.
भाजपा अध्यक्ष ने कहा,‘‘वे संविधान की रक्षा के एक मजबूत स्तंभ हैं.'' लोकसभा में चौथी बार अपने संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे दुबे निचले सदन में पार्टी के सबसे मुखर सदस्यों में से एक हैं. दुबे ने उच्चतम न्यायालय पर निशाना साधते हुए पहले कहा था कि अगर शीर्ष अदालत को कानून बनाना है तो संसद और राज्य विधानसभाओं को बंद कर देना चाहिए. उन्होंने प्रधान न्यायाधीश खन्ना पर भी कटाक्ष किया था. उत्तर प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री शर्मा ने भी उच्चतम न्यायालय की आलोचना करते हुए कहा कि कोई भी संसद या राष्ट्रपति को निर्देश नहीं दे सकता.